विदेशी देशों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं को लागू करते समय राष्ट्रीय जरूरतों और प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव विशेषज्ञों नें दिया है । चीन द्वारा शुरू की गई बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना और अमेरिकी मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) परियोजना को लागू करते हुए कूटनीति को संतुलित रखने और राष्ट्रीय हित को केंद्र में रखने की आवश्यकता पर भी उन्होनें जोड दिया ।
न्यूज सोसाइटी नेपाल द्वारा शनिवार को काठमाडौ में आयोजित 'बीआरआई: इंटरनेशनल प्रैक्टिस एंड इट्स रेलेवेंस इन नेपाल' विषयक छलफल कार्यक्रम के दौरान, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञों ने दोनों परियोजनाओ को नेपाल के हित के लिए उपयोग करने पर जोड दिया ।
गेजा शर्मा वागले ने कहा कि नेपाल में मेगा परियोजनाओं का अनावश्यक रूप से भू-राजनीतिकरण किया गया है । राजनीतिक दलों के स्वार्थ के आधार पर कुछ परियोजनाओं को राष्ट्रवादी और अन्य को राष्ट्रवाद के खिलाफ कहना चिंताजनक है । वाग्ले कहते हैं "वही बीआरआई और एमसीसी मंगोलिया में सफल हैं जबकि ये श्रीलंका में विफल रहे हैं । इसलिए, परियोजनाओं को काले और सफेद में अच्छा या बुरा नहीं कहा जा सकता है । सबसे महत्वपूर्ण यह है कि देश को इसकी आवश्यकता है या नहीं," ।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नेपाल विदेशी ऋण लेकर परियोजनाओं को वहन नहीं कर सकता । उनके अनुसार, अगर ५० अरब रुपये से अधिक की परियोजना के लिए संसदीय समर्थन मिलने पर पारदर्शिता बनाए रखने में मदद मिल सकती है । वाग्ले ने सुझाव दिया कि मेगा प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले सार्वजनिक बहस होनी चाहिए ।
कार्यक्रम में दूसरे विशेषज्ञ अजय भद्र खनाल ने न तो एमसीसी और न ही बीआरआई चुनौतियां लेकर आएंगे, बल्की इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के आसपास की प्रमुख समस्याएं भ्रष्टाचार, राजनीतिक कुशासन और आर्थिक लालच होने की बात बताई । उन्होंने आगाह किया कि निजी हित में बड़ी परियोजनाओं को चलाना प्रतिकूल होगा ।
इसी तरह, अन्नपूर्ण एक्सप्रेस साप्ताहिक के मुख्य संपादक, विश्वास बराल ने कहा कि बड़ी परियोजनाएं लोकतांत्रिक देशों में सफलतापूर्वक चलाई जाती हैं । उन्होंने याद दिलाया कि कम भ्रष्टाचार वाले अफ्रीकी देशों में बड़ी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया गया है ।