नेपाल में विक्रम संवत् २००४ (१५ जून १९४७) को हुए पहला विद्यार्थी आंदोलन 'जयतु संस्कृतम्' के स्मरण में बुधवार को कई कार्यक्रमों का आयोजन कर मनाया जा रहा है । रानीपोखरी स्थित राजकीय संस्कृत विद्यालय के छात्रों के पाठ्यक्रम में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, भूगोल सहित आधुनिक विषयों को शामिल करने के लिए विद्यार्थियों ने आन्दोलन किया था । आधुनिक विषय अध्ययन करने की माग करते हुए शुरु हुए आन्दोलन नें तत्कालीन राणा शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था ।
जयतु संस्कृतम आंदोलन के मुख्य प्रस्तावक परशुराम पोखरेल, पूर्ण प्रसाद ब्राह्मण, श्रीभद्र शर्मा, कमल राज रेग्मी, राम प्रसाद नुपने, राजेश्वर देवकोटा और गोकर्ण शास्त्री ने तत्कालीन प्रधान मन्त्री पद्म शमशेर को इन आधुनिक विषयों को पेश करने का अनुरोध करते हुए एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था । लेकिन प्रधानमन्त्री ने विद्यार्थियों को कोई जवाब नहीं दिया । बल्की माग करने वाले विद्यार्थियों को निर्वासन में भेज दिया गया था । बाद में सभी विद्यार्थी बी.पी. कोइराला के नेतृत्व में लोकतंत्र की स्थापना के लिए शुरू हुए आंदोलन में शामिल हो गए ।
आंदोलन ने तत्कालीन राणा शासन को एक बड़ा झटका दिया था और निरंकुश राणा शासकों के खिलाफ लड़ाई में ध्यान देने योग्य बेंचमार्क में से एक के रूप में बना हुआ है । जयतु संस्कृतम संस्था के अध्यक्ष डॉ बद्री पोखरेल ने बताया कि वे आज सुबह दरबारमार्ग में तीनधारा पाठशाला के सामने जयतु संस्कृतम के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और वैश्विक शांति के लिए एक संकल्प के साथ स्वस्ति छंद का भी जाप करेंगे ।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के युगांतरकारी आंदोलन को चिह्नित करने के लिए आज सुबह एक रैली भी आयोजित की जाएगी । इसी तरह दरबार हाई स्कूल के एक हॉल में संस्कृत विषय पर परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा । उन्होंने आगे साझा किया कि राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति के बीच संस्था बुधवार शाम एक आभासी कार्यक्रम का आयोजन कर रही है ।।